लेखनी प्रतियोगिता -08-Dec-2021 कुछ प्यारे से बोल
🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼 ॐ 🌻🌼🌻🌼🌻🌼
था वो पानी का बुलबुला, क्या विशाल क्या भव्य।
फूट गया तो बस नमी, रहा हाथ के मध्य।।
बड़े-बड़े आलीशान मकान, बने रहे चारों ओर।
रहता उनमें कोई नहीं, नहीं है कोई शोर।।
दिल में खुशी के फूल खिले, तो है सब त्यौहार।
दिल में गर दुख छुपे,तो है सब बेकार।।
प्रतीक्षा करती रही ,आशा सारी रात।
हुआ सवेरा रह गए ,अपने खाली हाथ।।
हुए प्रभावित देखकर ,उनका अडिग विश्वास।
कभी नहीं देखी आपने, उसके मन की आस।।
कविता डग बढ़ने लगी, उड़ने लगे विचार।
आज अविरल नभ पर दिखने लगा संसार।।
इंद्रधनुष को रंग दे, चाहे सफेद रंग।
उसके वश में सब कुछ है, कर दे सबको दंग।।
बचपन से यौवन हुआ, फिर हो गए अधेड़।
घट रहा तन हर घड़ी, जैसे दीमक से पेड।।
संगीता वर्मा✍✍
Shrishti pandey
09-Dec-2021 08:24 AM
Very nice
Reply
Abhilasha sahay
08-Dec-2021 07:21 PM
Very nice 👌
Reply
Raghuveer Sharma
08-Dec-2021 06:54 PM
waah lajvab👌
Reply